(SPAM) Radioactive Ink used on Rs. 2000 note
This is a false message as a p32 Phosphorous isotope used in the Rs. 2000 ink. As there is no authentic proof to it we prefer to classify it as SPAM. Please find more details at the verification section of the article.
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Below posts have been circulating on social media
How IT Department Officials Are Able to Trace the Hidden 2000 Rupee Notes…It’s NOT NANO CHIP!!
Unearthing more than Rs. 100 crore within a month is not a small thing. That too in different parts of the country and many a times, found inside the car, bathroom etc. The officers have been attacking with a pinpointed way which shows that something is helping them to catch hold of the guilty.
There were reports that all Rs. 2000 denomination notes are having a chip which will make it possible for the government to locate it, even if it is kept below the ground level. However, later on the Ministry of Finance clarified that there is no chip inside that. But then the question still remains that how the officials are able to nab the culprits!
As a report has mentioned that it is the ink used for printing the notes that is the tool which is helping the officials. It is said that radioactive isotope of Phosphorous (P32), which has 15 protons and 17 neutrons, has been used in limited quantity with the ink. This is helping the officials in detecting the presence of Rs. 2000 notes. The intensity of radioactive emission will be more when the quantity of currency notes is more than the allowed.
Recently, PM Modi in one of his speeches said, “Right now people are thinking that by exchanging the new currency with old one with the help of some bankers. They think they are safe and leave from back door. I assure you that they cannot escape because I have cameras in the back doors also.”
He further warned, “Jinhone bhi 8 November ke baad ye paap kia hai vo to kisi bhi halat me bachne vale nahi hain 2-4-6 mahine me pakde jayange” (whoever has committed this sin after November 8th, he will not be spared off at any cost and will be caught within 2 – 4 or 6 months).
PM Modi had promised to the people that by December 31st, everything will be set right. Many people were surprised to see the confidence that he had and the conviction with which he was speaking about the step that he had taken. Recently the media had also come to know that the plan for demonetization has been strategized soon after taking the charge of Prime Minister. It is evident that the planning had foreseen such probable corrupt practices and necessary measures were taken to curb it.
So, now even for those who have ‘good contacts’, it is difficult to escape from punishment. Beware! Government is watching you!
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2 thousand note having some secret..saying note p32 pasperouse isotope is used in the printing thats why IT is able find the notes where huge number of notes are kept
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Really surprising
चिप नहीं फिर कैसे पकड़े जा रहे हैं इतनी बड़ी मात्रा में नोट के बंडल?
देश में जितने बड़े पैमाने पर नोटों के बंडल पकड़े जा रहे हैं वैसा अभी तक कभी नहीं हुआ होगा। हर किसी के मन में सवाल है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि नोट के बंडल बैंकों से निकलते ही 2 से 4 दिन के अंदर पकड़ लिए जा रहे हैं। इनकम टैक्स के अफसरों को आखिर बड़ी तादाद में ले जाए जा रहे कैश का पता कैसे चल जा रहा है?
यहां हम आपको बता दें कि नकदी की तलाश में मारे गए इनकम टैक्स के छापों में से एक भी अभी तक ऐसा नहीं है जिसमें उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा हो। ऐसे छोटे बड़े छापों में अब तक 300 करोड़ से ज्यादा कैश पकड़ा जा चुका है।
छापों में 100 फीसदी कामयाबी कैसे?
कई लोग इस बात पर हैरान हैं कि नकदी के लिए मारे गए छापे अब तक लगभग सौ फीसदी सफल रहे हैं। कर्नाटक के चित्रदुर्ग में इनकम टैक्स अफसरों ने सीधे घर के बाथरूम में ही छापा मारा था और ऐसा लग रहा था कि वहां पर नोट कहां है इसकी जानकारी पहले से थी।
यही हाल लगभग सभी जगह हुआ है। चाहे वो दिल्ली में चार्टर्ड अकाउंटेंट का दफ्तर हो या बेंगलुरु में कर्नाटक सरकार के इंजीनियरों का घर। सबसे ज्यादा बरामदगी नकदी को कार, ट्रेन या हवाई जहाज से ले जाने की कोशिश में हुई है। इसी वजह से कई लोग यह शक जताने लगे हैं कि नई नोट में चिप तो नहीं लेकिन कोई न कोई ऐसा सिक्योरिटी फीचर लगा है जिसकी वजह से इसका सुराग आसानी से मिल जा रहा है।एक जानकारी के आधार पर अनुमान लगाया जा रहा है कि नोट में कोई चिप नही बल्कि एक प्रकार के रेडियो एक्टिव इंक का प्रयोग है। रेडियोएक्टिव स्याही का प्रयोग विकसित देशों में पहले से बतौर इंडिकेटर (सूचक/संकेतक) किया जाता रहा है।
दरअसल P32 फास्फोरस का रेडियोएक्टिव आइसोटोप है जिसके नाभिक मे 15 प्रोटोन और 17 न्यूट्रोन होते हैं और यह रेडियोएक्टिव स्याही में न्यून मात्रा में प्रयोग किया जाता है। यह रेडियोएक्टिव वार्निंग टेप की तरह प्रयोग होता है जिससे एक ही जगह पर मौजूद लिमिट से अधिक होने पर इंडिकेटर के तौर पर नोटों की मौजूदगी को यह सूचित करता है। जिससे भारी मात्रा में लोग इससे युक्त नगदी का संग्रह करते ही पकड़े जा रहे हैं।
नए नोट भी लोग छुपा कर वहीँ रख रहे हैं जहां सोना चांदी और अन्य अवैध कमाई के नोट है ऐसे में जांच के दौरान छिप कुछ नही रहा।
दो हजार के साथ पांच सौ की नोट में भी यही इंक का प्रयोग है और जल्द आने वाली हजार के नोट में भी यही प्रयोग हुआ है। हालाँकि क्षयांक यानि टी हाफ की वजह से एक तय समय बाद नोट की इंडिकेटर सक्रियता कम हो जायेगी इसलिए नये नोट भी भविष्य में बंद होंगे।
यह इंक का इंडिकेटर कहाँ लगा है इसकी जानकारी नहीं मिल पायी है।
इसे आप संकल्पना (हाइपोथिसिस) कहें या जो भी मगर सिर्फ आप लोगों के हित में है, क्योंकि आप ईमानदार नही बने तो यह नई नोट आपको ईमानदार बना देगी। जिसे शक दूर करना हो वह गूगल में रेडियोएक्टिव इंक खोज सकता है अन्यथा भ्रम पाले रहना भी बहुतों को जरुरी..
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खुल गया भेद : चिप नहीं ये चक्कर है जो इंकम टैक्स पकड़ लेता है घोटालेबाज़ों के नए नोट !!
आजकल काले धन वाले लोग काफ़ी हैरान परेशान है, चालाकी दिखाते हैं, बैंक वालों से सेटिंग भी करते हैं रुपया पैसा खिलाकर अपने काले धन को सफ़ेद करते हैं या नए नोटों के साथ बदलते हैं और इतनी सारी मेहनत के बाद इंकम टैक्स वाले धड़ाधड पकड़ रहे हैं।
केवल 30% टैक्स के लिए आप इतना सब कुछ टेंशन क्यूँ मोल लेते हो जब आपके पास इतना पैसा है तो 30% टैक्स देने में हर्ज ही क्या है।
ख़ैर आज आपको सारा राज बताते है, नए नोट में कोई चिप नहीं है बल्कि इसको बनाने में एक ख़ास प्रकार के रेडियो एक्टिव इंक का प्रयोग किया गया है।
बता दें कि रेडियोएक्टिव स्याही का प्रयोग विकसित देशो में पहले से हो रहा है ये बतौर इंडीकेटर किया जाता रहा है । जानकारी के लिए बता दें कि P32 फास्फोरस से बनी रेडियोएक्टिव स्याही एक आईसोटोप है जिसके नाभिक में 15 प्रोटोन और 17 न्यूट्रॉन होते है और यह रेडियोएक्टिव स्याही में बहुत ही कम मात्रा में प्रयोग किया जाता है।
ग़ौरतलब हो कि कम मात्रा का मतलब है यह रेडियोएक्टिव स्याही में केवल एक वार्निंग टेप की तरह प्रयोग होता है जिससे सरकार को ये फ़ायदा होता है कि ये एक ही जगह पर लिमिट से अधिक मोज़ुद होने पर इंडीकेटर के तौर पर नोटों की मौज़ूदगी को सूचित कर देता है । इसी वजह से ज़्यादा माल ( नए नोट ) रखने वाले फटाफट पकड़े जा रहे हैं।
हालाँकि ये जानकारी अभी आधिकारिक रूप से प्रमाणित नहीं है।
अब ये आपकी मर्ज़ी है कि इस जानकारी को आप केवल एक कल्पना भी कह सकते हैं और इसको सच भी मान सकते हैं।
इस देश में पिछले दशकों से नेताओं और भ्रष्ट ऑफ़िसर लोगों की देखादेखी हम में से अधिकतर लोग भ्रष्ट बन गए हैं जिन्हें हर उलटे सीधे तरीक़े से आसान पैसा कमाना है और उसपर टैक्स भी नहीं देना है। हमें सब फ़्री और आसान चाहिए कोई दख़लंदाज़ी नहीं चाहिए लेकिन देश हमें सिंगापुर या अमेरिका से उन्नत चाहिए। हम कुछ भी करते रहें लेकिन हमें और किसी के भ्रष्टाचार पर बड़ा गुस्सा आता है।
ख़ैर ज्ञान बहुत हुआ अब नोटों के बारे और नयी स्याही के बारे जिसे शक दूर करना हो वो गूगल में रेडियोएक्टिव इंक खोज सकता है ।
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Verification:
There is no authentic report on this claim. Its just a speculation and RBI and Ministry of Finance has not deemed it fit for clarification. Please read more about this story at the link below.
As the Ministry of Finance (MoF) and Reserve Bank of India (RBI) have not deemed it fit to clarify anything as such officially, it can safely be assumed that this is merely speculation. – from Financialexpress article below
Post Date: 14th Dec 2016
Post ID: #1680
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